Wednesday, 10 June 2020

वनीला कॉफ़ी -- 3

"दो सदियों के संगम पर मिलने आये हैं, एक समय लेकिन दो सदियां , दो सदियां ". 

"तुम गाने भी इतने बोरिंग और डिप्रेसिंग किस्म के गाती  हो कि  मेरा मन होता है  कि अभी यहां से भाग जाऊं !!"

"क्यों, इतना अच्छा गाना है।  तुम्हें क्या पसंद है ?"

"कुछ भी, थोड़ा lively, कुछ full  of spirit जैसा। "

"तो हाई स्कूल musicals कैसा रहेगा ? पर मुझे वो गाना नहीं आता। "

"अब मैंने हाई स्कूल musicals  के लिए तो नहीं कहा ना !!"

" खैर, तुम यहां इस छोटे शहर में क्यों आये ?"

"अब ये तुम्हारा छोटा बड़ा शहर बीच में कहाँ से आया ? हम लोग तो कुछ गाने की बात कर रहे थे। "

'लेकिन हम कोई अंताक्षरी नहीं खेल रहे कि  और कोई बात बीच  में नहीं कही जा सकती। "

"ओके, i  Surrender .  मैं यहां डेजर्ट सफारी के लिए आया हूँ, कंपनी ने मुझे पेड हॉलीडेज पर यहां भेज दिया।  मुझे कहा कि  भाई गौरव, तुम हमारे बड़े ही काबिल एम्प्लॉई हो  तो जाओ और ऐश करो। और बस, मैंने कहा कि  मुझे ये सूखा रेगिस्तान और ये पुराने  महल हवेलियां और ये शानदार हेरिटेज होटल्स देखने हैं, घूमने हैं तो उन्होंने मेरे लिए टिकट करवा दी और रहने को कुछ allowance भी  दे दिया।  गाडी मैं अपनी लाया ही हूँ।  " 

"बस इसलिए या और भी कोई  बहाना है तुम्हारे पास ?" 

"बहाना !!!! सुनयना, तुम क्या कोई खास बहाना सुनना चाहती हो ?"

"नहीं, मैं सिर्फ कोशिश कर रही हूँ कि  समझ सकूँ तुम्हारे यहां आने की असली वजह क्या है ? तुम्हारी अच्छी खासी कॉस्मो सिटी लाइफ के बीच ये ट्रैन का छोटा स्टेशन कैसे आ गया ? " 

"ऐसे ही,  यहां से  कुछ नए बड़े रास्ते भी निकल सकते हैं।"

 "आज हम मैरिएट जायेंगे। मैं बोर हो गया तुम्हारे इन हेरिटेज होटल्स का इंटीरियर देख देख कर। "

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"तुम, तुमको याद है कि एक बार तुमने मुझसे कहा था कि, तुम्हारे लिए मसूरी से थोड़ी बर्फ और पहाड़ लेकर आऊं।  पहाड़ का नज़ारा और पता नहीं क्या क्या कबाड़। 
"अब कबाड़ है तो तुम  क्यों याद कर रहे हो ? और मुझे क्यों बता रहे हो ? 

"पर्बतों के पेड़ों पर शाम का बसेरा है, सुरमई उजाला है, चम्पई अँधेरा है।"

"तुम्हारी वो एक्स .. फ्रेंड, रिद्धि   वो अभी वहीँ है या कहीं  दूसरे  शहर शिफ्ट हो गई ?"

"वो एक साल पहले ऑस्ट्रेलिया  चली गई। बात होती है  पर अब वो वहीँ सेटल्ड है  फ़िलहाल के लिए  और मैं  शायद कनाडा जाऊँगा अगले साल।  और कोई जानकारी चाहिए मोहतरमा आपको ? वैसे, आपका क्या चल रहा है, आप का क्या मूड है ? कब तक आप ऐसे कहानी लिखने में और कहानी का थीम ढूंढने में ....? "

"अब तुम अपनी असहजता को मेरी तरफ मोड़ रहे हो। तुम  अब तक चार या पांच  बार डेटिंग एंड मीटिंग एंड कोर्टशिप के किस्से मुझे बता चुके हो  और फिर भी मुझसे पूछ ऐसे रहे हो जैसे  तुमने बड़े  अच्छे ढंग से ..... "

"मैं  तुम्हारी तरह  खुद को दायरों में बिना वजह के क़ैद नहीं रखता।  सुनयना, तुम्हें नहीं  लगता कि  तुम खुद की ही खींची हुई  बॉउंड्रीज़ में बंद हो और बाहर देखना भी नहीं चाहती। "

"तो तुम्हारी तरह इस  टेबल से उस टेबल तक, इस मेनू कार्ड से उस मेनू कार्ड तक एक एंडलेस तलाश में घूमते  रहे ? ये ठीक लगता है तुम्हें ?"

"क्या मेनू कार्ड और कौनसी टेबल ? तुम क्या कहना चाहती हो ? तुम कहना चाहती हो की मैं यूँही टाइम पास कर रहा था और फ़्लर्ट कर रहा था !!!!!! और चार पांच बार कौनसा कैलकुलेशन किया तुमने ?? ज़रा बताओ ? किस किस की बात कर रही हो तुम ? अगर तुम रिद्धि की बात कर रही हो तो उस वक़्त हम लोग सीरियस थे पर उसके पेरेंट्स नहीं माने। जो कोशिश कर सकता था वो की ही थी।  तिशा  अपने बॉयफ्रेंड से शादी करना चाहती थी और ये उसने मुझे बहुत बाद में बताया जब ऑलमोस्ट सब फाइनल हो चुका  था। मैं इस अधूरे मन वाले रिश्ते को ज़िन्दगी भर नहीं झेल सकता था। "

"मुझे तो नहीं लगता कि  रिद्धि के लिए तुमने कोशिश की थी, वर्ना वो ऑस्ट्रेलिया क्यों जाती  और रही बात तिशा की,  तो तुम्हीं ने बताया था कि  उसने अभी तक शादी नहीं की है। "

"तिशा, अपनी ज़िन्दगी में आराम से है, किस से शादी करेगी, नहीं करेगी ये मेरा सिरदर्द नहीं  है। मेरी उस से कभी कभी बात होती है, पार्टीज में, पब में मिलते हैं कभी कभी।  बस। कोई ज़रूरी है कि  हम उसी रास्ते वापिस जाएँ ?" 

"तुमने  तिशा  से  नहीं पूछा, हो सकता है कि ... ?"

"सुनयना, तुम ये ज़रूरत से ज्यादा  ही फ़िल्मी कहानी बनाने की सोच रही हो। "

"मुझे लगता है कि, it was all your fault . And even after those experiences, you are still wandering and roaming around. It doesn't seem that you have learnt anything."

"What learnt, and what fault are you talking about ? what are you trying to say ? and what are those 4-5 times !!! will you please bother to explain ? I am losing my patience, be clear with your words. There is a limit for everything."

"How do I know, last month, you were talking about a dinner date and all ... I guessed you might have found a new girlfriend. am I right ?"

 "dinner date !!! I used to hang out with my friends and colleagues for dinner and parties; how can it be called a Date ?? and even if I am having a new girlfriend then how it is related with my past relationships ? However, Sunayana, I am not having any girlfriend these days. How did you reached to this conclusion of wandering and all ?"

"And if you are trying to blame me for all those things which were out of my control or where I had a little role to manage the situation then it is your own bias, your own judgmental mindset. You have always been rude and harsh with me; you think I am some sort of romeo ... is this what you think about me ??? I do not expect any answer." Anger mounted in his mind and a flow of unexpected thoughts rolled out from his mouth.

"I never wanted to say this, thought it will hurt you and I really never wanted to do that. But I think if you continued this type of behavior;  this being rude and judgmental to other people's lives and giving your half-baked opinion  on their relationship matters, provided that you never had been in any relationship before; how can you even imagine or understand about all this love and romance and emotions that get attached with all these things."

"What do you mean by rude, harsh and judgmental ?? I was trying to understand... why are you venting on  me ? what wrong did I said ? was it so wrong to ask  about your past relationships ?"

"You don't want to understand, you only want baseless allegations and negative points. we better not talk about this, I already said you won't be able to handle it;  but Sunayana, you are not a little kid. And with this arrogance, I fear you will end up destroying your future if ever happened relationships, in fact you will ruin things with your judgmental attitude." 

"I never thought my words are hurting you this much. I bothered you a lot. I was not aware..."

"Yes, it does hurt when you speak such harsh words. And these useless vanilla talks are useless, why the hell did you started it, why are you interested in my relationships." His voice tone was rough.

"I will not bother you from now onward, I want to go home." With a choking voice she spoke. 

"Ok."

"Can't I get a cab or auto ?"

"What cab auto you want !!!! we came here together and I will drop you home. Get in the car. "

"No, I will go myself." Moist eyes yet a firm slow voice.

"Don't create scene here and get in the car." Every word was spoken with a strong tone.

 "Will you not stop crying?" His anger was now turning into frustration and helplessness.

With this question the timid sound of tears stopped. A harsh silence prevailed between them.

She turned her face towards window and set her gaze in a vacuum. The car was running at a faster pace and so does the feelings of heart.

"Say something, Sunayana ...."

"Being quiet and bearing with this was an easy thing." he murmured and stared hard at the road.

finally, the destination arrived. She got out of the car and stepped towards the gate. With a decision of Not Bothering Back.



To Be Continued ...

Part 1
  







2 comments:

RAJANIKANT MISHRA said...

अभी और किश्त हैं लगता है।
इस किश्त में जादू थोड़ा कम है।
यथार्थ शायद ज्यादा।
क्या तो ताबड़तोड़ अंग्रेज़ी लिखी है लेकिन।

Bhavana Lalwani said...

अंग्रेज़ी एक सुविधाजनक भाषा है। हिंदी का प्रवाह जब तबियत से लिखा जाए तो झेलना हर किसी के बस का नहीं है।