Saturday, 8 February 2020

चूड़ियाँ


"ऐ मन्नू, मुझे देर हो जाएगी,  तू ये पैकेट रख।  मुझे शाम को दे देना। "
" क्या है इसमें ? चूड़ियां !!!  ये औरतों की चीज़ें मैं कहाँ रखूं ? तू ले जा। "
"मुझे देर हो रही ऑफिस के लिए , वहाँ ड्यूटी पर कहाँ रखूंगी।  तू रख, शाम को बस स्टैंड पर पकड़ा देना।  मेरे को  गाँव जाना है. "

"  कुशियो  तू ले जाना याद से नहीं तो मैं इधर उधर फेंक दूंगा। "

"कुसमा !!! नाम तो सही ले, दिवालका। "

" जा रे "

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"ऐ मन्नू तू आया क्यों नहीं बस स्टैंड पर ? फोन भी नहीं उठाया। मेरी चूड़ियां तो यहीं रह गई ? इतना सा काम भी नहीं संभला तेरे से।"
"अरे काम में फंस गया था, ज़रूरी जाना पड़ा। फोन की बैटरी ही खत्म हो गई थी। कल ला दूंगा।"
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"  ऐ मन्नू, तू मेरी चूड़ियां कब वापिस देगा , अब  ऐसा कर तू ही रख ले।  घर में मम्मी  या किसी बहन को दे देना।मेरे गाँव के ब्याह शादी तो सब  निपट गए ,  अब कहाँ पहनूंगी  चूड़ियां ?  इतनी महँगी !! ढाई सौ रूपए का सेट ख़रीदा था। "

"अरे मैंने वो तेरा पैकेट अटाले में कहीं  धर  दिया कि कोई देखे नहीं।  अब तो मैं भूल गया कि कहाँ रखा है। "

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"ऐ मन्नू,  तूने वो  चूड़ियां कहाँ  रखी  ? ढूंढी कि  नहीं ?"
"अरे कंजूस काकी, तू ढाई सौ रूपए मेरे से ले लेना जब मेरी नौकरी लगे।  अब मैं कहाँ अटाले में ढूंढने जाऊं  स्टोर रूम में ज्यादा छानबीन करूँगा तो घरवाले पूछेंगे नहीं क्या ?"
"कब लगेगी तेरी नौकरी और तब तक मेरे तो पैसे डूब गए."
"अरे देखना IAS नहीं तो RAS  बन ही जाऊँगा , एकाध साल में। "
"मन्नू तेरे कोई भरोसा नहीं। मेरी तो छोटी सी प्राइवेट  नॉकरी है।"
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बरस दो बरस बीत चला 

" ऐ मन्नू ये चूड़ियां तो देखी  हुई लग रही। "
"हाँ वहीँ पैकेट है न. देख कितना संभाल के रखा हुआ था. ढूंढा फिर। "
"अरे दिवालिया,  कम  से कम आज तो  नई  ले आता।  ये फिर बाद में दे देता। "
"क्यों इसमें क्या खराबी है,  अरे मिनकी ये भी एकदम नई  है, एकदम कोरी है, किसी ने नहीं पहनी।  पूरे ढाई सौ रूपए की है। "
"पर आज तो तू मुझे प्रोपोज़ कर रहा है ना , आज तो,,,,,,,,,,,,,,"
"कुशियो,  अब नई  पर फिर से पैसे क्यों खर्च करूं !!!"
"तू ज़िन्दगी भर दिवालका  ही रहेगा "
"ये तो देख कि  संभाल के रखा हुआ था ,,,,,,,,,,,,,,,"
"मेरा माथा, कुसुुुम नाम है ,,,,,,,,,,,"








2 comments:

अजय कुमार झा said...

आप बहुत ही अद्भुत लेखन कौशल से पूर्ण हैं | मैंने अभी आपकी बहुत सारी पोस्टें पढ़ीं | बिलकुल अलग तरह से लिखी हुई इस सुन्दर सी प्रेम कहानी ने भी मुझे बहुत ही प्रभावित किया | अब अनुसरक मित्र बन गया हूँ आपके ब्लॉग का तो अब आता और पढता रहूँगा आपको | शुभकामनाएं

Bhavana Lalwani said...

धन्यवाद... कमेंट देर से पब्लिश हुआ इसके लिए सॉरी... ब्लॉगर सेटिंग्स  गलती की वजह से पता ही नहीं चल सका।  आपका ब्लॉग देखा आज,  बतियाएंगे आपसे वहीँ।