Friday, 22 April 2011

बिन्नी आखिर बिन्नी क्यों है ?

 बिन्नी आखिर बिन्नी क्यों है..वो और कुछ क्यों नहीं बन जाती.. कुछ भी, कैसी भी, लेकिन बिन्नी तो ना हो. क्योंकि उसके बिन्नी होने से लोगों को बड़ी तकलीफें, बड़ी  शिकायतें और...और पता नहीं क्या क्या हैं... उनके लिए बात करने का, सोचने का, चर्चा का सबसे  बड़ा मुद्दा ही यही है कि बिन्नी आखिर बिन्नी क्यों है ?? वो बिन्नी ही क्यों बनी हुई है ? आखिर कैसे अभी तक बिन्नी है...?? 

 अब आप पढने वाले  लोग ज्यादा परेशान  हो और बिन्नी का नाम-पता-ठिकाना , बायोडाटा जानने की इच्छा ज़ाहिर करें , इसके पहले मैं बता दूँ कि बिन्नी एक फिल्म में देखी थी, कैरेक्टर  का नाम बिन्नी था, एक्ट्रेस थीं अनीता कँवल  और उस फिल्म में भी यही सवाल था की..बिन्नी आखिर बिन्नी क्यों है???  
 भला बिन्नी के बारे में इतने सवाल क्यों हैं? चलिए जानने की कोशिश करते हैं...  

 बिन्नी के बारे में सबकी अलग-अलग राय है, कोई कहता है बड़ी ही नकचढ़ी है, पता नहीं खुद को कहाँ  की  महारानी समझती है , तो कोई कहता है कि बड़ी सीधी सादी सी है, कोई कोई लोग intellectual भी समझ बैठते हैं (वैसे इसमें उनकी कोई गलती नहीं, बिन्नी के शौक और आदतें ज़रा "हटके" किस्म  के हैं),  पर कुछ  लोग ये भी कहते हैं और सही ही कहते हैं  कि आज भी ५० साल पुराने ज़माने में जी रही है..   

बिन्नी की मम्मी का कहना है कि उन्होंने लाख कोशिशें की, कि ये लड़की बिन्नी ना बने पर as  usual  उनकी किसी ने नहीं  सुनी . बिन्नी के पापा का कहना है कि उन्हें अंदाज़ा नहीं था की ये लड़की बिन्नी बन जायेगी...पर अब तो बन गई सो बन गई ... अब ज़रा बिन्नी के करीबी दोस्तों की भी राय जान ली जाए...अब करीबी हैं  या दूर दराज के , ये तो ठीक से बिन्नी को भी नहीं पता, पर कुछ तो, कहीं तो हैं ये सब लोग...बहुत अधिकार से  अपनी  बात कहते हैं..कोई फरमाता है कि बहुत कर ली तुमने मनमर्जी, अब हम जो कहते हैं वो सुनो और मान लो, क्योंकि हमने दुनिया देखी  है और तुमने उस दुनिया की परछाईं भी नहीं  देखी  . ..हम जानते हैं कि  तुम से क्या होगा और क्या ना होगा..बेकार ऊँचे दर्जे की बहस में ना पड़ो..  ( और ठीक ही कहते हैं..बिन्नी ने सचमुच दुनिया नहीं देखी, लेकिन दुनिया ने ज़रूर बिन्नी को देखा है और लगभग हर संभव नज़र से परखा भी  है, अब इस जांच -परख में बिन्नी कितने नंबरों से पास या फेल हुई ये ना ही पूछिए..)

.एक ज़नाब हैं जिनकी नज़र  से बिन्नी संसार की सबसे  नादान, मूर्ख और यूँ कहें की सुपर फ्लॉप किस्सा है....बेचारी कुछ भी, कोई सा भी काम ठीक से  नहीं  कर सकती.. (अब बिन्नी मानती है  कि इन भाई साहब  की  कोई गलती नहीं, बिन्नी ने आजतक ऐसा  कोई तीर भी तो नहीं मारा कि लोगों की राय बदल सके..इसलिए वो चुप होकर सुन लेती है )..


और भी कई लोग हैं , पर बिन्नी को अभी ठीक से नहीं पता कि उन चेहरों , उन कहकहों , उन लफ़्ज़ों के पीछे क्या छिपा है..और बिन्नी को जानने में दिलचस्पी भी नहीं है..



 बिन्नी को नहीं बनना जो उसका मन नहीं चाहता  या वो वही करे जो लोग उसके लिए ठीक समझ रहे हैं  या लोगों को लगता है की अब बस यही और इतना ही ठीक है.. अब यहाँ बिन्नी को "साहब, बीबी और गुलाम" फिल्म का एक सीन याद आता है, जहां रहमान घर से निकल रहे हैं कहीं जाने के लिए और मीना कुमारी उनको रोक रही है.. रहमान कहते हैं कि, " छोटी बहू, तुम भी और बहुओं की तरह साड़ियाँ खरीदो... गहने बनवाओ..
तब मीना कुमारी कहती हैं.. "मैं और बहुओं जैसी नहीं हूँ जी ..मैं और बहुओं जैसी नहीं हूँ.. ?

रिश्तेदारों की नज़र में बिन्नी किसी के लिए ईर्ष्या की वजह, किसी के लिए gossip  का टॉपिक, किसी के लिए मज़ाक बनाने का उपयुक्त निशाना ..किसी के लिए उसका होना ना होना बराबर सा...यानि जितनी बड़ी दुनिया उसके उतने ही रंग--रूप..  अब ऐसा भी नहीं कि बिन्नी को इन सब चीज़ों की कोई परवाह ही नहीं...वैसे पहले तो कभी थी ही नहीं..पर अब होने लगी है..तो इसलिए जब बिन्नी बहुत ज्यादा परेशान हो जाती है तो थोड़ी देर के लिए  एक  अलग दुनिया में जो एलिस इन wonderland , मिकी माउस, टॉम एंड जेरी की है, वहाँ भाग जाती है...


हमेशा से ही बिन्नी देखती आई है कि यहाँ सब लोग, मतलब मम्मी-पापा, दोस्त, सब लोग उसे अलग-अलग directions में खींच रहे हैं ...कोई चाहता है ..बिन्नी तो बस ऐसी बने , वैसी बने , ये हो जाए, वो हो जाए...पता नहीं क्या हो जाए...पर मुसीबत ये रही कि बिन्नी इनमे से कुछ भी नहीं बन पाई ....क्यों???..क्योंकि उसकी नज़र का क्षितिज, उसकी आँखों का सपना कहीं और ही था...अब कहाँ था, ये तो बेचारी बिन्नी को भी ठीक से नहीं पता था...और यहीं गलती हो गई बिन्नी से, बिना रास्ता जाने, मंजिल ढूँढने की.

पर ये भी कौनसा  आसान काम था ...इस पूरी हायतौबा में हर कोई चाहता है कि बिन्नी उसके बताये हुए , तय किये हुए  सांचे में ढल जाए, फिट  हो जाए...और इसी कोशिश में सब लोग लगे हैं, मुसीबत तब आती है, जब ये सब के सब एक साथ, एक ही समय, बिन्नी को अलग-अलग directions  में खींचना और सांचे में पैक करना शुरू कर देते हैं..वो भी पूरे दमखम से ..अब बिन्नी कहाँ भाग जाए, तब उसका मन करता है कि सारे बंधन छुड़ा के भाग जाए कहीं, अकेले ही, दूर..कहीं भी..कुछ वक़्त के लिए ही सही ..पर ..कहीं ..चला जाए..

  अब यहाँ  एक गाना याद आ रहा है.. "हम तो भाई जैसे हैं, वैसे रहेंगे..अब कोई खुश हो या कोई रूठे ..इस बात पे चाहे हर बात टूटे ..समझे ना समझे कोई  ..हम यही कहेंगे.."...हाँ माना थोडा मनमानी जैसी बात है ये..पर अब क्या करें..आखिर बिन्नी है...इतनी आसानी से किसी की सुन ले तो फिर चाहिए ही क्या...ना हो सबको उससे इतनी शिकायतें, ना हो इतनी हाय तौबा, ना हो ये सारे  सवाल...

पर बिन्नी कहती है कि बिन्नी होने में क्या बुराई  है, हाँ मान लेते हैं कि दुनियादारी के लिहाज़ से तो किसी गोल, चौकोर, तिकोने या और किसी खांचे में तो फिट नहीं बैठती...पर फिर  भी  अगर बिन्नी, बिन्नी ही रहे तो किसी का ऐसा  क्या बिगड़ जाएगा..और बिगड़ता भी हो  तो बिन्नी को कौन फिकर पड़ी है..

आप कहेंगे कि ये बिन्नी बड़ी stubborn  और जिद्दी किस्म की लग रही है ..तो जवाब है हाँ,  थोड़ी तो जिद्दी है ही...इसमें तो कोई  शक ही नहीं ...फिर आप पूछेंगे कि आज अचानक बिन्नी को क्या ज़रुरत पड़ गई,  अपना किस्सा- कहानी सुनाने की.. तो इसका जवाब ये है  कि  ..हमेशा से  ही बिन्नी सबकी सुनती आई है, तो सोचा आज वो भी अपने मन की कह ले ..अब मन की करना तो मुश्किल काम है, पर मन की कहना आसान है, इस पर ना कोई रोक टोक है ना ही किसी को कोई ऐतराज़ ...आखिर democarcy है भाई..

अरे हाँ आप लोग कहीं ये तो नहीं  सोच रहे कि बिन्नी को दुनिया --जहान से  सिर्फ़ शिकायतें ही शिकायतें हैं...नहीं ऐसा कुछ नहीं ...हम सबको अपने तरीके से सोचने का हक है..हर किसी को अपने नज़रिए से  दुनिया को देखने और उसे अपने मन मुताबिक बनाने का भी हक है..और फिर जब बिन्नी को, बिन्नी होने का हक है तो बाकी लोगों को भी तो अपने अपने हक हैं.. पर मुश्किल तब हो जाती है, जब हम दूसरों के हक को स्वीकार ही नहीं कर पाते..लगता है कि बस जो हम सोच रहे हैं  वही सही है.. ..बिन्नी को किसी से शिकायत नहीं...जिसे जो अच्छा लगे उसे वो करने दो,  कहने दो...

..और बिन्नी को बिन्नी रहने दो...उसके लिए खुद को  बदल पाना ज़रा मुश्किल है..और इस तरह की खींचातानी से  तो वो नहीं बदलेगी.. वैसे भी बिन्नी हमेशा ही थोडा थोडा सबके मन मुताबिक  होने की, बनने की, कोशिश  करती रही, कि जिससे थोडा थोडा सब खुश हो जाएँ, लेकिन इस थोड़े बहुत के झमेले में कोई भी पूरी तरह से  खुश नहीं हो पाया और बिन्नी के खुद के खुश होने का तो सवाल यहाँ है ही नहीं ...इसलिए..अब बिन्नी  सोच रही  है कि अपनी donald  duck  वाली दुनिया में ही लौट चलें (काफी सुन्दर और सुकून भरी जगह है..आप भी कभी आइये..) .. ..

8 comments:

Unknown said...

Ab kaha'n hu,Kahaa'n nhi hu main,
Jis jagah hu,Waha nahi hu main,
Kon aawaz de raha he mujhe,
Koi kah de yaha nhi hu main..

mayank ubhan said...

gud piece of work.....just one song fr bimmy..
"mai aisi kyu hun mai aisi kyu hun...."

Namisha Sharma said...

well binni is 1 among us- a ordinary gal,almost har ladki ki kahani....binni aakhir "binni" q h? qki she is a HUMAN BEING !

Bhavana Lalwani said...

@Namisha... YEs my Dear..you are right to a certain extent..not every girl is Binni..agar har ladki binni hoti toh use aur ladkiyon se hi ye naa sunanaa padhta ki Binni..y r u still Binni..

kuchh samjhi ki nahi???????????

Namisha Sharma said...

yup ! those who want to change Binni,they themselves r frail.aise log(ho sakta h kuch gals bhi ho is category mi) ko sirf aur sirf "taane dena" aur "jayan batana" aata hai...Right?

Bhavana Lalwani said...

hmmm...

मनीष said...

Binni me logo ko chahe kitni hi kamiya dikhe aur kitni hi shikayate ho par ek baat to sach hai,
Binny is unique, and this is her achievement, her quality. No one can become BINNY...; i think.

Bhavana Lalwani said...

Thank you manish