सपनों का एक संसार है ..या संसार में सपने है ..शायद ये सब एक दूसरे में घुल मिल गए हैं. सपनों का संसार जिसमें वो सब रंग हैं जो हम इस वास्तविक संसार में देखते हैं या देखना चाहते हैं और वो रंग जो हमें बहुत अच्छे लगते हैं ..वो सब खूबसरत रंग जो अच्छे तो बहुत लगते हैं पर असल ज़िन्दगी में हमारे पास है नहीं . सपनों के इस संसार की हुकूमत और उस हुकूमत का दायरा हमारी दो छोटी आँखों और उन पर बिछी नाज़ुक पलकों पर ही है ..सपने देखना ज़रूरी है ये ज़माने से चली आ रही सीख है ...सपनों को पूरा करना ये मज़बूत इरादों और उनके पीछे पड़ जाने वालों की सीख है. पर सपने कोई शिकार का जानवर तो नहीं है कि हर बार या हर किसी का निशाना ठीक बैठ ही जाए...निशाना चाहे कितना ही चूके
..चाहे कितनी ही बार चूके ..आँखों के बंद लेकिन पारदर्शी (हाँ आँखों का पर्दा बेहद झीना होता है ..वो दिखता है जो होता है और वो भी जो हम देखना चाहते हैं और वो भी जो नहीं होता ही नहीं) ..तो आँखों के बंद पर ज़रा खुले हुए परदे एक के बाद एक सपने देखते ही जाते हैं ..थकते नहीं..कोई एक सपना पूरा हो जाए तो उसके बाद उस से आगे का..कोई सपना पूरा ना हो अधूरा छूट जाए तो उसकी जगह नया सपना ..सपने ना हुए भगवान् कृष्ण का दिया चावल का कटोरा हो गया कि जिसमे एक दाना शेष रहते भी फिर से पूरा भर जाता था.
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..चाहे कितनी ही बार चूके ..आँखों के बंद लेकिन पारदर्शी (हाँ आँखों का पर्दा बेहद झीना होता है ..वो दिखता है जो होता है और वो भी जो हम देखना चाहते हैं और वो भी जो नहीं होता ही नहीं) ..तो आँखों के बंद पर ज़रा खुले हुए परदे एक के बाद एक सपने देखते ही जाते हैं ..थकते नहीं..कोई एक सपना पूरा हो जाए तो उसके बाद उस से आगे का..कोई सपना पूरा ना हो अधूरा छूट जाए तो उसकी जगह नया सपना ..सपने ना हुए भगवान् कृष्ण का दिया चावल का कटोरा हो गया कि जिसमे एक दाना शेष रहते भी फिर से पूरा भर जाता था.
यानि सपने एक ऐसा गिफ्ट बॉक्स हैं जो कभी खाली नहीं हो सकता ..जादुई डब्बा ..वहाँ हमारे लिए हमेशा कुछ ना कुछ रहेगा...आंखें बंद करते ही कुछ ख्याल, कुछ बातें दिल दिमाग में तैरने लगती हैं ..और देखा जाए तो उन बातों को आँखें बंद होने का भी इंतज़ार नहीं होता ..पर इतना ज़रूर है कि पलकें खुली रहे तो उन ख्यालों के साथ और बहुत सी चीज़ों की
मिलावट होती रहती है ..पर एक बार बिस्तर पर लेटते ही..तकिये पर सर टिका नहीं कि आँखों के आगे एक सुन्दर सी फिल्म चलने लगती है ..खुली आँखों के सपने ..जिनको सच हो जाना चाहिए ..जिनको पूरा होना चाहिए ..जिनकी ताबीर कब होगी इसका जवाब ढूँढने में अक्सर नींद भी बेचारी थक हार के अपना घर कहीं किसी और के तकिये में ढूँढने चली जाती है..
मिलावट होती रहती है ..पर एक बार बिस्तर पर लेटते ही..तकिये पर सर टिका नहीं कि आँखों के आगे एक सुन्दर सी फिल्म चलने लगती है ..खुली आँखों के सपने ..जिनको सच हो जाना चाहिए ..जिनको पूरा होना चाहिए ..जिनकी ताबीर कब होगी इसका जवाब ढूँढने में अक्सर नींद भी बेचारी थक हार के अपना घर कहीं किसी और के तकिये में ढूँढने चली जाती है..
सपनों के इस साम्राज्य में.. (भले इसका राज पाट हमारी आँखों की परिधि से बाहर ना हो..कुछ ऐसे कि जगत के स्वामी का शासन आलम से पालम तक)....जगह सबके लिए है, हर चीज़ के लिए है ..हर उस बात के लिए जो हमें अच्छी लगती है ..हर उस इंसान के लिए जो हमें पसंद है ..हर उस घटना के लिए जो अभी घटित नहीं हुई पर होनी चाहिए ..या हर उस घटना के लिए जो हो चुकी है और हम चाहते है कि ऐसा दोबारा हो और उन घटनाओं के लिए भी जो हम चाहते हैं कि ऐसा कभी तो, कभी एक बार ही सही पर होना चाहिए ..यहाँ सबके लिए जगह है ..छोटी या बड़ी पर एक ख़ास कोना सबके लिए..हर इंसान के लिए हर बात के लिए...सपने हैं या भानुमती का पिटारा ..कभी कभी ये सपने हमको एक अलग ही यूटोपिया में ले जाते हैं..उस दुनिया में जैसी हम अपने लिए चाहते हैं पर जो हमारे पास होती नहीं. एक ऐसा जीवन जिसका रंग रूप हमारी पसंद का हो ..जिसका हर चेहरा, हर किरदार हमारे लिए हो, जहाँ सब कुछ "हम से हो"...ऐसी एक ख़्वाबों भरी दुनिया हो हमारी पसंद की.. पर मुसीबत ये है कि ऐसा कुछ परफेक्ट दुनिया में होता नहीं..इसलिए हम में से कुछ लोग अपने उन सपनों को ही अपना घर बना लेते हैं ..यूटोपिया सच होता नहीं ..उसकी तृष्णा बनी रहती है..
पर फिर भी उस थोड़ी देर के यूटोपिया में जो ख़ुशी और सुकून मिलता है वो कहीं नहीं, कहीं भी नहीं..इस असल ज़िन्दगी में भी नहीं....लेकिन कांच की परछाई को सच नहीं मानना है ये दिमाग जानता है इसलिए बार बार अपनी चाबुक चला के हमको सावधान करता रहता ..कभी हम सुन लेते हैं कभी अनसुनी कर देते हैं
कितनी बार टूटते हैं सपने ..तिनका तिनका बिखर भी जाते हैं ..कभी सपने मर भी जाते हैं तो कभी पहुँच से बहुत दूर हो जाते हैं. पर ऐसे में हमारा दिल बड़ा समझदार है वो पुराने सपने का कोई नया version तैयार कर लेता है..जिसमे थोडा नया, थोडा पुराना , थोडा ऐसा, थोडा वैसा का कुछ अजीब घालमेल सा बना कर हमको बहला लेता है..फिर से आँखों की
चमक लौटा लाता है ..जैसे कभी कुछ खोया ही नहीं था ..कुछ भी, कहीं भी कम नहीं हुआ ..सपने हमेशा जीते रहते हैं ..तब तक, जब तक दिल जाग रहा है ..और तब तक, जब तक दिल बैचैन है...सपने किसी "हमेशा" का वरदान लेकर आये हैं ..जिनकी उम्र हमारी ख्वाहिशों से भी बड़ी है..ना हो ये सपने तो सच में जीना ही मुश्किल हो जाए .. इनके होने से मन को तसल्ली मिली रहती है ..कि आने वाला कल.. कल सुबह का सूरज बड़ा ख़ूबसूरत होने वाला है ..उस किसी अनजानी सुनहरी सुबह के मिलने कि आस में आँखें हर लम्बी से लम्बी और सख्त रात बड़े आराम से मीठी नींद में काट देती हैं...हम से ज्यादा हिम्मत हमारी पलकों के पास है..दिल-दिमाग के हर उस बोझ को जो आँखों से झांकता रहता है ..बहने की
कोशिश करता है ..उसे बड़ी मजबूती से बाँध लेती हैं ...थामे रखती हैं...सपनों के इंद्रजाल में उलझाए रखती हैं..सुलाए रखती है ...ना होता इस दुनिया में सपनो का जहान तो जाने क्या होता ..
7 comments:
so touching...
good one bhavana
एक दुनिया जिसका नाम है परछाई उर्फ़ सपना...very rightly said...wanna just add few lines..
Sapno ki duniya kitni azeeb hoti hai,
jhuthi hi sahi par har khushi nasib hoti hai
Beshak aate hain sapne kuch pal k liye,
par in palo me jannat kitni kareeb hoti hai..THANK YOU..
bahut achhi hai, bahut hi sundar aur ek hi vishayvastu par kendrit....
Manish
shukriya yashwant ji itni purani post ko halchal mein shamil karne ke liye. ab toh aisa kuchh likhna toh door sochna bhi door ki koudi lagta hai. we bhi din the jab aise thought ful essay likhti thi main.
बहुत खूब
आप इतना खूबसूरत लिखती हैं। इसे फिर से जगाइए। ये खूबी फिर जाग गई तो आपके मन को ताजगी और संतोष से भर देगी। उम्मीद है की आप अपने जज्बातो को निराश नही करेगी।
सादर।
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