तो ये कहानी और किस्सा उस वक़्त शुरू हुआ जब, हमारे इस हँसते खेलते सौर मंडल परिवार में प्लूटो नाम के एक नए सदस्य का प्रवेश हुआ। उसका घर इतना दूर था कि अरबों खरबों साल तक किसी की नज़र उस पर पड़ी ही नहीं और वो बेचारा अकेला ठण्ड और अँधेरे में सौर मण्डल के एक कोने में चुपचाप पड़ा रहा। फिर एक दिन क्या मालूम किसी दूरबीन से उसे देखा गया या कोई उपग्रह उसके आस पास से निकला या शायद वैज्ञानिकों ने कोई ब्लैक होल या आकशगंगा की किसी रिसर्च वाली ढूंढा ढांढी में गलती से ही सही पर प्लूटो को ढूंढ निकाला। बिलकुल यूरेका मोमेंट की तरह !!!! एकदम से प्लूटो अपने अंधेरे से बाहर निकल कर सबको दिखने लगा। एकदम से सारी की सारी फ़्लैश लाइट्स, सर्च लाइट्स, फोकस लाइट्स उस बेचारे पर आन पड़ी। उसे इन सब चीज़ों की आदत बिलकुल ही नहीं थी, अभी वो ज़रा इस चकाचौंध में खुद को एडजस्ट करने की कोशिश कर ही रहा था कि उसे सौर मंडल के मालिक यानी सूर्य महाराज का एक रजिस्टर्ड अंतरिक्षीय डाक से भेजा गया पत्र मिला जिस के लिफ़ाफ़े पर लिखा था "अत्यावश्यक" . ऐसा ही पत्र सौर मण्डल के सभी ग्रहों को भेजा गया था, पत्र में एक सौर्य सप्ताह ( पृथ्वी वाला सप्ताह यानि सौर्य सप्ताह, क्योंकि ये सारी चमक चांदनी उसके निवासियों की ही लाई हुई थी) के भीतर स्पष्ट एवं एकमत से उत्तर देने का निर्देश दिया गया था, अन्यथा एकपक्षीय कार्यवाही की कठोर चेतावनी का उल्लेख था।
Wednesday, 8 September 2021
एक सौर मंडलीय समस्या --- भाग 1
अब सवाल है कि आखिर सूर्य ने क्या सवाल पूछा था ? तो सवाल ये था कि चूंकि इस सौर मण्डल में पिछले खरबों वर्ष से केवल सात ही ग्रह थे, फिर कहीं से अरुण का भाई वरुण भी प्रकट भया और उसे भी सिफारिशें लगवा कर सौर मंडल में एडजस्ट करवाया गया ; हालाँकि पृथ्वी के पंडितों और ज्योतिषियों ने बड़ा हल्ला मचाया कि जब सप्ताह में दिन ही सात है और उनके पंचांग में भी आठवें ग्रह का कोई उल्लेख आदिकाल से या सभ्यता काल से नहीं है, वगैरह वगैरह फिर इस आठवें को कहाँ और कैसे बिठाएं। पर उनकी किसी ने नहीं सुनी और वरुण अपना तम्बू गाड़ कर जम गया, आखिरकार झख मार कर इन दोनों भाइयों को अंक गणित, हस्त रेखा शास्त्र और भी पता नहीं कौन कौन शास्त्र और गणित में जगह मिल ही गई। लेकिन अबकी बार मामला ज़रा अलग था।
सूर्य महाराज ज़रा सख्ती के मूड में थे, उनका ख्याल था कि ये आठ ग्रह ही बहुत हैं, इन्हें ही चुम्बकीय बल और गुरुत्वाकर्षण बल से संभाल कर चलाना अपने आप में एक समस्या है और अब ये इतना दूर का ग्रह प्लूटो जाने कहाँ से आ गया, यह तो अब तक उन्हें भी नहीं दिखा था !!! आखिर ये पलुटो या जो भी इसका नाम है, ये कभी दिखा क्यों नहीं ??? सूर्य देव ने हज़ार बार सिर खुजा लिया लेकिन बिचारा प्लूटो उनके स्मृति पटल पर कहीं नहीं दिखा। और इसीलिए अब की बार उन्होंने पक्का विचार कर ही लिया कि उनके इलाके में, उनके गुरुत्वाकर्षण घेरे में केवल आठ ही ग्रह रहेंगे और किसी नवें दसवें या ग्यारहवें को यहां बिलकुल जगह नहीं है। आखिर यह क्या मजाक है, यह सौर मंडल उनका है, इस अंतरिक्षीय क्षेत्र के वे एकछत्र स्वामी हैं, उनसे पूछे बिना, उनकी राय लिए बिना पिछली बार यह वरुण उनके सौर मंडल में आकर बैठ गया और अब यह कोई प्लूटो है ! ऐसे ही तो कभी भी, कोई भी ऐरा गैरा आकर कहेगा कि मैं उधर उस कोने में था और चुपचाप आपकी परिक्रमा कर रहा था, आप ही ने मुझे नहीं देखा !!! नहीं, ऐसे बिलकुल नहीं चलेगा, चल ही नहीं सकता। ये बिना किराया देकर रहने वाले गैस के गोले ( बृहस्पति और शनि ), हरी बर्फ के भंडार (अरुण और वरुण ), पूरे अंतरिक्ष में प्रदुषण फ़ैलाने वाली यह पृथ्वी, यह लाल पथरीला मंगल और ये गर्मी से जलते बलते बुध और शुक्र ; इन सबको कौनसा किराया भरना पड़ता है यहां मेरे इस क्षेत्र में रहने का और अपना महत्व जताये रखने का। बड़े आये अपने नाम से सप्ताह के दिन गिनवाने वाले ; हुँह !!!
तो अब उन्होंने अल्टीमेटम जारी कर दिया कि उनके सौर मंडल में केवल और केवल आठ ग्रह ही रह सकते हैं, उनके सौर परिसर में आठ से ज्यादा ग्रहों के लिए बिलकुल ही जगह नहीं हैं। किसी नौवें या नए ग्रह के आने, रहने, घुसने, बसने, शामिल होने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। तो अब ये चीज़ इन सब ग्रहों को आपस में तय करनी थी कि अगर केवल आठ ग्रह ही रह सकते हैं तो किसको सौर मंडल से बाहर किया जाएगा या "निकाला जायेगा" ????
जाहिर है, तुरत फुरत स्पेस टेलीफ़ून की घण्टियाँ घनघनाने लगीं।
"तुमने चिट्ठी पढ़ी ? देखा कितना एरोगेंट है सूरज !!! ऐसे कैसे निकाल सकते हैं किसी को भी, इतने अरबों सालों से हम रह रहे हैं यहां, कहाँ जायेंगे हम ?" शुक्र ने रोनी सी आवाज़ बना कर पृथ्वी से कहा। शुक्र हमेशा से ही ज़रा डेलिकेट डार्लिंग किस्म का ग्रह रहा है, उसके लिए ऐसी चिट्ठी पढ़ना भी किसी ज़ुल्म को सहने जैसा था।
"हाँ, सही कहा। हम कहाँ जाएँ और क्यों जाएँ ? और मेरी इतनी आबादी है, सूरज को ज़रा भी फ़िक्र नहीं हुई। यह जो नया आया है इसे ही निकाल दो। कौनसा आज से पहले तक हम इसे जानते थे।" पृथ्वी ने कुढ़ते हुए कहा।
"तो इस प्लूटो को ढूंढा भी तो तुम्हारे ही निवासियों ने !!! और अब मुसीबत हम पर आ गई है। हम कहीं नहीं जायेंगे, आखिर ऐसे कैसे कहीं भी चलें जाएँ, आखिर हम मॉर्निंग स्टार हैं।"
आई बड़ी मॉर्निंग स्टार वाली, नखरे तो देखो इसके !!! ये नाम भी मेरे लोगों ने दिया इसे, इतना माथा भी हमने चढ़ाया और अब मेरी बिल्ली ... पृथ्वी ने भुनभुनाते हुए सोचा, पर फिर ऊपर से मीठी आवाज़ में कहा, "क्यों ना प्लूटो को ही हटा दें; अब हम सब तो एक दुसरे अच्छे से जानते हैं, पहचानते हैं, इतने पुराने पडोसी हैं और तुम तो खैर सुबह की रौशनी हो, भोर का तारा हो, तुमसे दूर कोई कैसे रह सकता है। तुम्हारे जैसा नाजुक और नफीस दिल ......"
"अहां, अम्म, अब मैं खुद अपनी तारीफ क्या करूँ, अच्छा नहीं लगता ना। और फिर तुम्हारे ही लोगों ने तो मुझे वीनस नाम दिया है, कितनी कहानियां हैं मेरे लिए धरती पर। किस कदर रोमांटिक और दिल को छू लेने वाली; भला मैं तुमसे दूर कैसे रह सकती हूँ। हाँ तुम सही कह रही हो, हम एक दुसरे का साथ नहीं छोड़ेंगे। हम इतने नज़दीक पडोसी हैं, यहां और कौन है जिस से मैं बातें कर सकूँ और मन बहला सकूँ। वो बुध तो हमेशा या तो गर्मी से उबलता रहता है या ठण्ड में जमा रहता है, वहाँ तो स्पेस टेलीफोन का नेटवर्क भी कई बार नहीं लगता। हम उस प्लूटो को ही हटा देंगे। इतनी दूर से कौनसा वो हमें दिखाई भी दे रहा है। सुना है, वहाँ बिलकुल अँधेरा और बहुत ठण्ड है। उफ़, मैं तो ऐसी डरावनी जगह के बारे में सोच भी नहीं सकती।" शुक्र ने अपनी खनकती, लरजती आवाज़ में मुस्कुराते हुए बड़ी अदा से कहा।
"तो फिर ये तय रहा कि प्लूटो को ही जाना पड़ेगा।" पृथ्वी ने बात को ख़त्म करते हुए कहा।
अब पृथ्वी ने मंगल को फोन लगाया ; आप सोचते होंगे जब ये प्लूटो पृथ्वी के वैज्ञानिकों ने ही ढूंढा, तो अब पृथ्वी क्यों चिंता में दुबली हुई जाती है। अरे भाई, सूरज का फरमान भी तो कोई चीज़ है कि नहीं !!! अब ये चश्मा चढ़ाये, गंजे वैज्ञानिकों को क्या पता कि इधर "ऊपर" हाई कमांड ने क्या आदेश निकाल दिया है। अब इस यूरेका वाली खोज का खामियाजा कहीं पृथ्वी को ही ना भुगतना पड़े इसलिए उसे सब जगह जुगत बिठानी ही पड़ेगी।
"भाई, तुमने पढ़ी चिट्ठी ? कुछ सोचा, क्या जवाब देना है ?" पृथ्वी ने बड़ी ही चिंता जताने वाली आवाज़ में पूछा।
"हाँ, पढ़ी, आखिर सूर्य तो हमारे सौर मंडल का मालिक है ही, हम उसकी अनदेखी नहीं कर सकते। और जैसा उसने कहा है तो वैसा ही करना भी पड़ेगा।" मंगल ने बिलकुल डिप्लोमेटिक तरीके से जवाब दिया। उसे पता था कि इस वक़्त पृथ्वी मुसीबत में हैं और उसे हमेशा ही मजा आता है पृथ्वी पर दंगल मचाने में। आये दिन पृथ्वी के भेजे हुए रोवर, उपग्रह उसकी ज़मीन की छानबीन करते रहते हैं, फोटुएं खींचते हैं, आये दिन पृथ्वी के अखबारों में मंगल पर यह खोज हुई , वह खोज हुई की खबर छपती ही थी। इन सबसे मंगल खुश तो होता ही था लेकिन पृथ्वी के सामने वो अपने डेकोरम और इम्पोर्टेंस को बनाये रखना चाहता था , इसलिए उसने कोई खास जवाब नहीं दिया। मंगल के इस रवैये को पृथ्वी भी खूब समझती थी। पर अभी तो काम निकालना था।
"देखो, अब मेरी हालत तो तुम जानते ही हो, मेरे ये वैज्ञानिक यही कोशिश कर रहे हैं कि आने वाले वक़्त में इंसानों के रहने के लिए एक साफ़ वायुमंडल और उपजाऊ ग्रह मिले। और इसीलिए ... पर अगर हम दोनों में से किसी एक को निकाल दिया गया तो ?? ख़ास तौर पर अगर मुझे ही निकाल दिया तो ???" पृथ्वी ने जान बूझ कर बात अधूरी ही छोड़ दी। उसे मंगल का रिएक्शन देखना था।
मंगल तो अब कन्फूजिया गया। यह क्या !!! कब से सपना देख रहा था, इंसान आएंगे, सभ्यता, सुंदरता, हरियाली, संगीत, कोलाहल, इमारतें .... और भी कितने कल्पनाएं !!! सब एक क्षण में ढेर !!!! नहीं !!!!
"अरे ऐसा कैसे हो सकता है ??? मुझे जितनी फ़िक्र है तुम्हारे इंसानों की उतनी तो सूर्य को भी क्या होगी। आखिर मैं ही तो वो भविष्य का घर हूँ, जहां तुम्हें अपनी विरासत सौंपनी है। तुम निश्चिन्त रहो, आखिर मेरा नाम मंगल है, मेरे रहते पृथ्वी का अमंगल कैसे हो सकता है !!!" मंगल ने हुंकार भरी। पृथ्वी का अंदाज़ा ठीक बैठा। अब मंगल की तरफ से भी निश्चिन्त हो गए।
"हेलो, कैसे हो तुम ? तुम्हारी तो कोई खबर भी मुश्किल से ही मिल पाती है। आज भी बड़ी मुश्किल से नेटवर्क मिला है। " पृथ्वी ने बड़े फिक्रमंद अंदाज़ में बुध से पूछा। हालाँकि है तो छोटा सा ग्रह लेकिन हर एक वोट ज़रूरी होता है !!!
"अच्छा, तो आज तुम्हें मेरी याद कैसे आई ? क्या काम है मुझसे ?" बुध छोटा है लेकिन समझदार है। उसे पता है कि बिना काम के तो ये बड़े ग्रह उसे कभी याद करते नहीं।
"तुम तो नाराज़ हो रहे हो !!! ऐसा भी क्या है। और फिर हमारी क्या गलती ? तुम सूरज के इतने नज़दीक हो कि मेरे किसी स्पेस क्राफ्ट को तुम तक भेजना तो दूर तुम्हारे आस पास फटकना भी बहुत मुश्किल है, एक तुम्हारा सूरज के चारों और तीव्रतम परिभ्रमण दूसरा खुद सूरज का गुरुत्वाकर्षण। तुम्हें इतना आसान लगता है !!! इसलिए तो स्पेस टेलीफोन का नेटवर्क तक नहीं मिलता। " पृथ्वी ने शिकायती लहजे में कहा।
"अच्छा, अच्छा। अब ये बहाने रहने दो। मैं यहाँ अकेला सूरज की गर्मी और सौर ज्वालाओं को झेलता हूँ वह नहीं दिखता तुम्हें ? कभी कोई मेरा हाल भी पूछता है, मैं सब समझता हूँ, तुम सब बड़े ग्रह .... खैर, बताओ फोन क्यों किया ?" बुध का गर्मी के मारे वैसे ही बुरा हाल था।
"वो चिट्ठी आई होगी ना तुम्हें भी ? कुछ सोचा कि किसको बाहर किया जायेगा ? एक सप्ताह में जवाब भी देना है।"
"तुम्हें ही बाहर कर देते हैं, तुम्हारे ही वैज्ञानिक खोज लाये हैं तो तुम्हीं भुगतो ना। और मुझे तो कोई नहीं हटा सकता , मैं सूरज के सबसे नज़दीक हूँ।"
"ऐसा क्यों कहते हो ? हम इतने अरबों सालों से इस सौर मंडल में साथ रह रहे हैं , और फिर मैंने वो मैरीनर और मैसेंजर अंतरिक्ष यान भेजे तो थे तुम्हारी खोज खबर लेने के लिए। क्या तुम लोग सच में मुझे निकाल दोगे ?? क्या मैं इतनी बुरी हूँ ?? पृथ्वी ने अपना सबसे मजबूत हथियार आज़माया; इमोशनल ब्लैकमेलिंग वाला, थोड़ा सा रोना धोना वगैरह ।
"अच्छा, इतना रोने धोने की ज़रूरत नहीं। देखेंगे। अभी मैं कुछ नहीं कह सकता।" हालाँकि पृथ्वी की इस रोनी आवाज़ ने बुध की तेज गति को एक क्षण के लिए ही सही धीमा तो कर ही दिया और गर्मी से पिघले हुए बुध के क्रस्ट (ज़मीन) को थोड़ा और पिघला भी दिया लेकिन फिर बुध ने सोचा कि प्लूटो भी उसके जैसा छोटा ग्रह है और उस आखिरी कोने में ठण्ड और अँधेरे में पड़ा है; उसे एक अपने जैसा दोस्त मिलने की पूरी उम्मीद थी। पृथ्वी के ये स्पेस क्राफ्ट उसके क्या काम के ?? ज़रा सोचो तो भला !!! और उसने इस ख्याल को एकदम दूर झटक दिया और फिर से भागने लगा, सूर्य के चारों और। वैसे भी उसका ख्याल ये था कि यह कोई सौर ज्वालाओं का असर है जो सूर्य ने इतना सख्त अल्टीमेटम निकाला है, जैसे ही ये ज्वालाएं शांत होंगी, सूर्य का गुस्सा भी शांत हो जायेगा और ये मामला वापिस ठन्डे बस्ते में पहुँच जायेगा। अब उसे क्या पता था कि क्या हंगामा होने वाला है !!!!
खैर.
नियत तारीख पर सभी आठों ग्रहों की वीडियो कॉन्फ्रेंस शुरू हुई , ज़ाहिर इसमें नन्हा प्लूटो भी आया था ; पर अभी उसको नवें स्थान पर बिठाया जाए या आठवां माना जाए, इस पर चर्चा शुरू हुई।
"तो अब आप सब अपनी अपनी राय दें।" बृहस्पति ने अपने गुरु गंभीर स्वर में कहा।
"मैं प्लूटो को रखना चाहता हूँ , मुझे एक नया पडोसी मिल गया है, इतनी दूर कोई तो है जिस से मैं बोल बतिया सकूँ।" वरुण ने चहकते हुए पूरे जोश से बात रखी।
"अरुण भी तो तुम्हारा पड़ोसी है, भाई है। " पृथ्वी ने चिढ कर कहा।
"मैं भी चाहता हूँ कि प्लूटो हमारे साथ रहे; हम दोनों भाइयों को एक और साथी मिल गया है और आजकल हम लोग रोज स्पेस वीडियो कॉल के ज़रिये बहुत एन्जॉय कर रहे हैं।" अरुण ने तुरंत बचाव किया।
प्लूटो का चेहरा चमक गया, उसनी अपनी भोली मुस्कराहट से दोनों को थैंक यू कहा।
"तुम दोनों के अलावा भी ग्रह हैं, उनकी भी बात सुनी जाएगी।" बृहस्पति ने फिर गंभीर सुर में कहा। पृथ्वी को मानो क्यू मिल गया, उसने शुक्र और मंगल की तरफ देखा और सोचा ये कुछ बोलेंगे लेकिन दोनों बस चुप बैठे रहे।
"मेरे ख्याल से प्लूटो बहुत ज्यादा ही दूर है और उसके आने की वजह से ही हम सबको ये चेतावनी वाली चिट्ठी मिली, इसलिए मेरा ख्याल है की प्लूटो को ही हटाया जाए। " पृथ्वी ने एक सांस में बोल दिया।
"तुम्हें ना हटा दें ??? इस प्लूटो को ढूंढा किसने ? हमने ? अच्छा भला सौर मंडल चल रहा था। लेकिन तुम और तुम्हारे इंसान अपने ये उपग्रह कभी इधर कभी उधर भेज कर शोर मचाते फिरते हो। इतना प्रदूषण फैला दिया है तुमने अंतरिक्ष में, मैंने तुम्हारी शिकायत की है आकाशगंगा की कोर कमेटी में।" शनि ने अपनी तीखी आवाज़ और तेज़ नज़र से पृथ्वी को डांटा। यह शनि हमेशा पृथ्वी को डराता है।
" लेकिन मैं तो सिर्फ ..." पृथ्वी आगे कुछ नहीं बोल पाई, उसने फिर शुक्र और मंगल को देखा पर वो चुप थे।
"बुध, तुम्हारी क्या राय है ?" बृहस्पति ने पूछा।
"उम्म्म, मैं सोचता हूँ कि प्लूटो के आने से क्या नुकसान है, अब इस छोटे से को ऐसे निकालेंगे तो उसे कितना बुरा लगेगा ना।"
बृहस्पति और शनि ने एक साथ आंखें तरेरी।
"तो किसी न किसी को तो निकालना ही पड़ेगा ना। ठीक से जवाब दो सब लोग , या कहो तो मैं ही निकल जाऊं ?" बृहस्पति ने चेतावनी के लहज़े में कहा।
"आप, आप क्यों जायेंगे , नहीं नहीं, हम लोग अभी कुछ निर्णय करते हैं। शनि तुम्हारी क्या राय है ? " अब जाकर मंगल कुछ बोला।
"प्लूटो के रहने से मुझे कोई दिक्कत नहीं , मुझे तो किसी के भी जाने या आने से कोई दिक्कत नहीं। लेकिन यह सूर्य की चिट्ठी , ये सब इस मूर्ख पृथ्वी का किया धरा है।" शनि ने कुछ विशेष नज़र से मंगल को देखते हुए कहा। शनि और मंगल दोस्त हैं, और मंगल अपने दोस्त को नाराज़ नहीं कर सकता। ये दोनों हमेशा साथ ही रहते हैं, दोनों का मिजाज और व्यवहार एक दूसरे से मिलता है। मंगल समझ गया था कि शनि इस समय पृथ्वी को सपोर्ट तो नहीं करेगा , तो अब वो क्या जवाब दे ?
"ऐसा करते हैं कि सूरज से कुछ और वक़्त मांग लेते हैं सोच विचार के लिए। ठीक है ?"
"और वक़्त नहीं मिल सकता, मेरी आज ही बात हुई सूर्य से, उसने तुरंत निर्णय माँगा है।" बृहस्पति ने फ़रमाया।
"अच्छा !!! अब प्लूटो के मामले पर एकदम से कैसे निर्णय लें !!!"
"शुक्र, तुम क्यों चुप हो ? बोलो क्या राय है ?"
"मैं !!! अब मैं तो हमेशा से सबकी अच्छी दोस्त रही हूँ, मुझे भला किसी से क्या तकलीफ। मेरा तो स्वभाव ही है नए नए दोस्त बनाने और पुराने दोस्तों से मिलने जुलने का।" शुक्र ने एकदम डिप्लोमैटिक टर्न लिया। पृथ्वी बेचारी देखती रह गई।
"तो फिर आप की क्या राय है ?" अरुण और वरुण ने एक साथ बृहस्पति से पूछा।
"एक बार वो सभी ग्रह हाँ कहें जो प्लूटो को रखना चाहते हैं। "
अरुण, वरुण, शनि, बुध ने तुरंत हाँ भर दी। मंगल को शनि का साथ देने के लिए धीरे से ही सही पर हाँ कहना पड़ा। शुक्र ने बस मुस्कुरा कर सिर हिलाया।
"तो अब आप सब प्लूटो को रखना चाहते हैं। यह भी ठीक है, वो नया है और अभी छोटा है, उसे अगर निकाल दिया गया तो इससे दुसरे सौर मंडलों और पूरी आकाश गंगा में काफी गलत संदेश जा सकता है।" बृहस्पति ने अंतिम निर्णय तक आते हुए कहा। असल बात ये थी कि बृहस्पति कुछ समय से पृथ्वी से नाराज थे, उन्हें लग रहा था कि ये इंसान कुछ ज्यादा ही स्वछन्द होते जा रहे हैं, पर इनको कैसे समझाएं ये रास्ता सूझ नहीं रहा था। लेकिन अब तो बैठे बिठाये रास्ता मिल गया।
तो सर्व सम्मति से तय हुआ कि प्लूटो को रखा जायेगा। पर निकाला किसे जाए, यह तय होना बाकी था।
"पृथ्वी को निकाल देते हैं, सारी आफत की जड़।" शनि ने व्यंग्य से कहा।
अरुण और वरुण ने तुरंत मुद्दा लपक लिया और एकदम से हामी भर दी। बृहस्पति ने केवल इतना कहा .. 'हम्म्म".
बुध भी हंसा और शुक्र ने मुंह फेर लिया। मंगल खैर चुप ही रहा।
और इस तरह अंतिम निर्णय बृहस्पति ने सूर्य को भेज दिया। प्लूटो रहेगा और पृथ्वी निकाली जाएगी।
पृथ्वी कुछ भी नहीं कह सकी।
क्रमश :
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