Monday, 25 July 2011

जब ज़िन्दगी  तुम पर मुस्कुराए तो समझो कि तुम्हे ज़िन्दगी से प्यार हो गया है लेकिन जब ज़िन्दगी तुम पर हँसे तो समझ लेना कि सारा जहान आज तुम पर हंस रहा है...और इस हंसी की  गूँज तुम्हारी   आत्मा को चीरती जायेगी..

Monday, 18 July 2011

Still Life

खुशफहमियों और गलतफहमियों के परदे जब तक नज़रों के सामने बने रहे, तब तक अच्छा है क्योंकि उनके  होने से दुनिया एक ख़ास रंग और रूप में नज़र आती है... दुनिया बेहद खुशनुमा और ज़िन्दगी से भरपूर दिखती है..ये सोचते हुए कि हमारे आस पास जो नज़ारा है वो पूरी तरह सच है..आँखों  का भ्रम नहीं.. वो सचमुच अस्तित्व रखता है..
...जिस लम्हा ये परदे, ये बेहद झीने और नाज़ुक परदे उठ जाते हैं, उस लम्हे ये दुनिया बहुत बदसूरत और  सारी कायनात नाकाबिले बर्दाश्त लगने लगती  है.... हर बात, हर शै, हर मंज़र  बेवजह और बेमजा लगने लगता  है. .दुनिया की हर बुराई , हर छल,  बिलकुल बेदाग़, कांच की तरह हमारी आँखों में चमकने लगता है तब समझ आता है कि  आज तक जिन अहसासों को हम सीने से ये सोच  के लगाए बैठे थे कि वही ज़िन्दगी का सच है, सुकून है और वही इसका अर्थ भी है ..वो सब एकदम से छिटक कर कहीं दूर जा गिरते हैं और तब समझ आता है कि हम जिन ख्यालों में  अब तक मदहोश, दुनिया से बेपरवाह डूबे थे , वो तो असल में कभी थे ही नहीं. बस उनके होने का एक सलोना सा भ्रम था , जो परदे उठते ही एक झटके से ख़त्म हो गया..


...और इसलिए  खुशफहमियां और गलतफहमियां जब तक बनी रहे तब तक अच्छा है, क्योंकि  उनके होने से ज़िन्दगी और उसकी सच्चाइयां उतनी कडवी नहीं लगतीं जितनी कि असल में वो हैं...  .फिर भी हम हर रोज़ एक नयी गलतफहमी को दिल में लिए उस पुरानी गलतफहमी को फिर से पा लेने के लिए चलते जाते हैं ..