tag:blogger.com,1999:blog-1184502663170430111.post6270202431939770087..comments2023-11-22T14:10:36.573+05:30Comments on Life with Pen and Papers: मूर्ख होने का विज्ञान Bhavana Lalwanihttp://www.blogger.com/profile/10803470573955340519noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-1184502663170430111.post-80614251238033663722020-06-08T11:38:51.107+05:302020-06-08T11:38:51.107+05:30डॉक्टर शास्त्री जी, क्षमा कीजियेगा ब्लॉगर की सेटिं...डॉक्टर शास्त्री जी, क्षमा कीजियेगा ब्लॉगर की सेटिंग में कुछ गलती के चलते मुझे किसी भी कमेंट का नोटिफिकेशन ईमेल पर नहीं मिला इसलिए आपके कमेंट जिनमे मेरी पोस्ट को आपने चर्चा मंच पर जगह दी उसकी जानकारी भी नहीं मिल पाई. अब से ईमेल नोटिफिकेशन इनेबल कर दिया है। आशा है आप इस तरह स्नेह बनाये रखेंगे। Bhavana Lalwanihttps://www.blogger.com/profile/10803470573955340519noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1184502663170430111.post-55221484258081095032020-06-08T11:36:18.799+05:302020-06-08T11:36:18.799+05:30धन्यवाद विकेश जी, आपकी टिपण्णी का तो हमेशा ही इंतज़...धन्यवाद विकेश जी, आपकी टिपण्णी का तो हमेशा ही इंतज़ार रहता है. और कमेंट पब्लिश होने में इतना समय लगा इसके लिए माफ़ी चाहूंगी. आज ब्लॉगर की सेटिंग देखते समय पता लगा कि कमेंट के नोटिफिकेशन मेरे ईमेल पर आने ही बंद हो गए थे जिस कारण बहुत सारे कमेंट पब्लिश होने से रह गए और मुझे पता भी नहीं चला कि इतने लोगों ने मेरा लिखा पढ़ा. अब आज सारे कमेंट पब्लिश किये हैं और आज सबका उत्तर दे रही हूँ। Bhavana Lalwanihttps://www.blogger.com/profile/10803470573955340519noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1184502663170430111.post-56942337510180357952020-04-02T18:41:59.086+05:302020-04-02T18:41:59.086+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
श्री राम नवमी की हार्दिक शु...बहुत सुन्दर प्रस्तुति।<br />श्री राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1184502663170430111.post-7360557926800492752020-04-01T21:08:12.837+05:302020-04-01T21:08:12.837+05:30हंड्रेड एकर वुड्स की तरफ जो रास्ता और दरवाजा जिस ...हंड्रेड एकर वुड्स की तरफ जो रास्ता और दरवाजा जिस पेड़ की खोह से होकर खुलता है, उस पेड़ और उस दरवाजे को देख पाना किसी समझदार के बस की बात नहीं। इसे देखने के लिए आपको विश्वास की और खाली कोरे दिमाग की ज़रूरत है। जहां तर्क और स्थापित ज्ञान रुकने को कहता है, वहाँ से एक दरवाजा खुलता है जो एक ऐसी दुनिया में जाता है जहां तर्क की कोई खास जगह नहीं है, जहां बुद्धि केवल नाप तौल और ऊँचा नीचे का साधन नहीं हैं, जहां नफा और नुकसान का कायदा भी नहीं है। ---------------------<br />----------------------ये तो आपकी पंक्तियां हैं, जो आपके देखे गए की अंतर्भूत, सघन और विचारणीय ही नहीं बल्कि आकर्षक अभिव्यक्ति भी हैं। आपने जो वीडिया या फिल्में देखीं उनके बारे में, फिल्मों के आधार पर समाज और व्यक्ति के एक निश्चित मानस के बारे में इस आलेख में जो कुछ भी लिखा है, वह सच में अत्यंत गहनता से महसूस किया और लिखा है। Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.com